• Jaydeep Shekhar
    Jaydeep Shekhar
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रैटल साँप के बच्चे

  • 8 Aug, 2023

सफर की 22वीं शाम तेज हवाएं चलने लगीं, खुले में शिविर लगाना सम्भव नहीं था। ऑड्रे ने एक चट्टान की ओट लेने की सलाह दी— खच्चरों की रक्षा के लिए यह जरूरी था। असामान्य रूप से ऊँची यह चट्टान एक सूखी हुई नदी के किनारे थी। यह सूखी नदी कभी कैनेडियन नदी की सहायक नदी रही थी। स्वाभाविक रूप से, वाकर को चट्टान के नजदीक ठहरना पसन्द नहीं था, लेकिन इस वक्त मजबूरी में वह राजी हुआ। मन मारकर वह खच्चरों को चट्टान के दूसरी तरफ लेकर गया— हवा के क्रूर थपेड़ों से उन्हें बचाने के लिए। पथरीली जमीन पर वैगन नहीं ले जाया जा सकता था।

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