मुर्दे के समान पड़े-पड़े ऑड्रे को अचानक एक ऐसे बदलाव का आभास हुआ, जिस पर वह एकबारगी विश्वास नहीं कर पायी; जब विश्वास हुआ, तब उसे समझ में नहीं आया कि वह इसे शुभ लक्षण माने या अशुभ— दूर से आती ढम-ढम की आवाजें बन्द हो गयी थीं! यह सही है कि इन आवाजों ने हमेशा उसे पागल बनाया था, लेकिन क्या वाकर इन्हीं आवाजों को दूसरी दुनिया से आने वाली बुरी आत्माओं के खिलाफ सुरक्षा-कवच नहीं मानता था? वो कौन-सी बातें थीं, जो उसने ग्रे-ईगल और विचिता ओझाओं से सुनकर उसे फुसफुसाते हुए बतायी थीं?
अचानक से छाया यह नया सन्नाटा ऑड्रे को पसन्द नहीं आया। कुछ तो अशुभ संकेत था इसमें! इस नये सन्नाटे में घड़ी की टिक-टिक असामान्य रूप से तेज लगने लगी। आखिरकार हिम्मत जुटाकर उसने चेहरे पर से कम्बल हटाकर अन्धेरे में ही खिड़की की ओर देखा। चाँद अस्त हो चुका होगा, क्योंकि तारों की पृष्ठभूमि पर खुली खिड़की का चौकोर आकार उसे स्पष्ट दिख रहा था।
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